अजंना देवी
8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। इस वर्ष
की थीम ‘be bold for change’ है. क्या सच में ही ऐसा हो रहा है? इस बारे में महिलाओं
के अलग-अलग विचार हो सकते हैं? पर क्या वे वास्तव में ऐसा करने में सक्षम हैं?
कामिनी शर्मा |
एक ओर जहां कई तरह के बदलाव समाज में आ रहे है वहीं लोगों की सोच में
भी बदलाव आ रहे हैं।
कामिनी शर्मा जो केन्द्रीय विश्वविद्यालय में
B.Sc. Physics (Honors)की छात्रा हैं वे इस समय को बदलाव का युग मान रही
हैं जिसमें वे अपने आपको बहुत आगे बढ़ते हुए देखना चाहती है।
दिपाली गिल |
प्रियंका, विश्वविद्यालय में
समाजशास्त्र की छात्रा हैं,का कहना है कि उन्हें शिक्षा के द्वारा और आगे बढ़ने का
मौका मिल रहा है। वे अपना हर ख्वाब पूरा कर सकती
है।
दीक्षा जो MBA कर रही हैं वे देश के सुरक्षा बलों में अपना
कैरियर बनाना चाहती हैं ताकि वह और युवतियों का हौंसला बढ़ा सकें।
गीता कश्यप, केन्द्रीय विश्वविद्यालय से पी.एचडी कर रही हैं उनका कहना है
कि समाज को महिलाओं के प्रति रवैया बदलना ही होगा क्योंकि यह समय की मांग है।
दीक्षा |
दिपाली गिल, जो B.Sc. Physics (Honors) में कर रही हैं,
उनका कहना है कि महिलाओं को आत्मविश्वासी होना चाहिए ताकि वे सब कुछ
कर सकें और किसी से भी अपने आप को कम न समझें।
रितिका शर्मा जो MBA की छात्रा हैं उनका कहना है कि लड़कियों को अपने सपने पूरे करने के लिए अपने
आप को स्वंय ही आगे बढ़ाना होगा।
Conversation with girls on Women's Day
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